कवी अज्ञान
आज मन हुआ कुछ लिखू
पर क्या लिखू ?
लिखने को .........
शब्द नहीं,
होता भी तो क्या करता ,
शब्दकोश कहाँ …….
लिखने का
न ग्रन्थ पढ़ा , न पढ़ा पुराण
कैसे हो शब्दो में महान।
मस्तिष्क चाहता है लिखना ,
रुखता है हाथ उतना ,
लिख कर ही होगा ,
दिल जीतना।
काव्यकार – Joytish Chakraborty ( हरेंद्र ) द्वारा रचित
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