कलयुग
हर जगह चल रहा है
नशाओ का शोर
कही मर रहे है लोग ,
कही मोर।
यही तो है आज का कलयुग।
कही युध्ह छिड़ रहा है ,
तो कही जोर - शोर।
यही तो है आज का कलयुग।
कही पे हो रहे है..................
दंगे - फशात
तो कही प्यार
यही तो है आज का कलयुग।
काव्यकार – Joytish Chakraborty ( हरेंद्र ) द्वारा रचित
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