22 April 2016

कलयुग


कलयुग

हर जगह चल रहा है

नशाओ का शोर

कही मर रहे है लोग ,

कही मोर।

यही तो है आज का कलयुग।

कही युध्ह छिड़ रहा है ,

तो कही जोर - शोर।

यही तो है आज का कलयुग।

कही पे हो रहे है..................

 दंगे - फशात 

तो कही प्यार

यही तो है आज का कलयुग।

काव्यकारJoytish Chakraborty ( हरेंद्र ) द्वारा रचित

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