29 August 2020

 काव्य / कविता का नाम  : -  प्रथम गुरु

काव्यकारJoytish Chakraborty ( हरेंद्र )
रचना स्थान :- कोलकाता
रचना दिनांक :-  27-08-2020


शिक्षक

कौन है ? क्यों है ? किसलिए है?

..........................................

जो कुछ सीख दे , ज्ञान दे ,पथ प्रदर्शक हो।

शिक्षक !

विस्मय नहीं , क्रू नहीं , नकारात्मक नहीं ,

शिक्षक वही जो सदैव तत्पर अपने ज्ञान से ,

 नाम है अनेक

कोई कहे शिक्षक

कोई कहे टीचर

कोई कहे गाइड

पर गुरु शब्द ही है सठीक मायने में राइट .....

गुरु   ----  न कोई धर्म है , न है जात,

उम्र भी देता है जिसको मात ,

कौन दिया ज्ञान यह आव्यशक नहीं

क्या दिया है ज्ञान महत्व वही।

प्रथम ज्ञान दिया है जिसने ----

वही गुरु है सर्वोपरी

कौन है वो !

सोचने लगे ?

प्रथम गुरु का नाम ,

अरे ,

भूल गए क्या ?......

गुरु,

माँ का नाम

वही माँ - जिसने जन्मा है तुम्हे ।

इस दुनिया में प्रत्येक जीव का,

चाहे मनुष्य हो या जानवर ,

प्रथम सीख है -  माँ ही देती ।

जीवन में चाहे एकाधिक गुरु हो

परन्तु माँ का स्त्थान सर्वोपरि है।

माँ एवं गुरु

दोनों ही से  सीख मिली

माँ से मिली सांस्कारिक , सामाजिक सीख

तो गुरु से मिली पाठ्यक्रमिक सीख।

व्यर्थ नहीं है सीख

मिला जो दोनों से

काम आये जीवन  के

हर एक मोर में।

काव्यकारJoytish Chakraborty ( हरेंद्रद्वारा रचित

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