18 August 2020

जिंदगी के इम्तेहान में

 

जिंदगी के इम्तेहान में ,


जिंदगी के इम्तेहान में ,

नाकाम रहे है हम ।

जीत जायेंगे ,

हौसला नहीं छोरे है हम ।

ज्ञान तो है जो ज्ञान ही रहा गया

काम न आया जो जीवन में मेरा,

मैं गुमनाम ही रह गया। 

कुछ कहे,

कुछ न कहे बह गया ,

उजाले में अँधेरा बन गया

काव्यकार

Joytish Chakraborty ( हरेंद्र )


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