जिंदगी के इम्तेहान में ,
जिंदगी के इम्तेहान में ,
नाकाम रहे है हम ।
जीत जायेंगे ,
हौसला नहीं छोरे है हम ।
ज्ञान तो है जो ज्ञान ही रहा गया
काम न आया जो जीवन में मेरा,
मैं गुमनाम ही रह गया।
कुछ कहे,
कुछ न कहे बह गया ,
उजाले में अँधेरा बन गया।
काव्यकार –
Joytish Chakraborty ( हरेंद्र )
No comments:
Post a Comment