काव्य / कविता का नाम : - प्रथम गुरु
काव्यकार – Joytish Chakraborty ( हरेंद्र )
रचना
स्थान :- कोलकाता
रचना
दिनांक :- 27-08-2020
शिक्षक
कौन है ? क्यों है ? किसलिए है?
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जो कुछ सीख दे , ज्ञान दे ,पथ प्रदर्शक हो।
शिक्षक !
विस्मय नहीं , क्रू नहीं , नकारात्मक नहीं ,
शिक्षक वही जो सदैव तत्पर अपने ज्ञान से ,
नाम है अनेक
कोई कहे शिक्षक
कोई कहे टीचर
कोई कहे गाइड
पर गुरु शब्द ही है सठीक मायने में राइट .....
गुरु ---- न कोई धर्म है , न है जात,
उम्र भी देता है जिसको मात ,
कौन दिया ज्ञान यह आव्यशक नहीं
क्या दिया है ज्ञान महत्व वही।
प्रथम ज्ञान दिया है जिसने ----
वही गुरु है सर्वोपरी
कौन है वो !
सोचने लगे ?
प्रथम गुरु का नाम ,अरे ,
भूल गए क्या ?......
गुरु,
माँ का नाम
वही माँ - जिसने जन्मा है तुम्हे ।
इस दुनिया में प्रत्येक जीव का,
चाहे मनुष्य हो या जानवर ,
प्रथम सीख है - माँ ही देती ।
जीवन में चाहे एकाधिक गुरु हो
परन्तु माँ का स्त्थान सर्वोपरि है।
माँ एवं गुरु
दोनों ही से सीख मिली
माँ से मिली सांस्कारिक , सामाजिक सीख
तो गुरु से मिली पाठ्यक्रमिक सीख।
व्यर्थ नहीं है सीख
मिला जो दोनों से
काम आये जीवन के
हर एक मोर में।
काव्यकार – Joytish Chakraborty ( हरेंद्र ) द्वारा रचित